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26 Aug 2020 · 1 min read

घायल मोर

*********************
मेरे घर के आँगन में कल
आ पहुंचा एक नन्हा मोर।
जिसे देखते ही बच्चों ने
उछल उछल मचाया शोर।

मोर था घायल, खून से लतपथ
पैर में बंधा था , रेशम का डोर।
घर में आया है नन्हा सा एक मोर
फैली खबर तो चर्चा हुई चहुँओर।

घायल है नन्हा सा मोर
ध्यान नहीं किसी का इस ओर।
सब है अपनी खुशी में पागल।
ताक रहे है सब हो आनंद विभोर।

किस ओर जा रहा है मानव
कहाँ गई मानव की मानवता
अपनी खुशियों के लिए
जीवों पर है अत्याचार करता।

खुद तो रहना चाहता है स्वछंद
लेकिन पशुओं- पंछियों को
करता है अपने घरों में बंद।
अत्याचार करता हर क्षण

जब पथप्रदर्शक ही घर में,
जंगलो की शोभा को लाकर
अपनी घर की शोभा बढ़ाएंगा।
दुनिया को क्या राह दिखायेगा

यदि कोई जँगली जानवर
गलती से इधर आ जाता है
लोग उस पर तोहमत लगाता है।
अपनी करनी को छुपाता है।

और कभी कभी तो मजे में
हाथी को विस्फोटक खिलाता है।
जानवर कभी वहसी नही होता।
मानव ही वहसी हो जाता है।
●●●
©® सर्वाधिकार सुरक्षित।
रवि शंकर साह
रिखिया रोड़, बलसारा बी0 देवघर
झारखंड, पिन कोड- 814112

Language: Hindi
1 Like · 289 Views
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