घायल मन पुकारता तुम्हें, परमात्मा, कैसे करूं तेरी आराधना, सज
घायल मन पुकारता तुम्हें, परमात्मा, कैसे करूं तेरी आराधना, सजग हो जीवन मेरा।
निर्मल हो जाए मन
जीवन कर्म हो सुंदर स्थल।
घायल मन पुकारता, तुम्हें परमात्मा , कैसे करूं तेरी आराधना।।
15-9-024की स्वरचित रचना है।