घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
मैं शोषित
मेरी लड़ाई शोषक से
जिनकी फिल्में
देख-देख कर बड़ा हुआ
वो नायक-नायिका
मेरे विरुद्ध खड़े हुए तो
प्रतीत हुए खलनायक
जिसके सुरीले गीत
सुन सुन कर मैं मुग्ध हुआ
वो गायक-गायिका
अलापने लगे राग
मेरे विरुद्ध
उनके राग बेसुरे लगे
जिन्हें मैं मानता रहा
खेल जगत की शान
मेरे विरुद्ध होकर
मेरा खेल बिगाड़ते
उनको पाया
लेखक भी कुछ
बांचते रहे स्तुति
नाचते रहे निर्लजता से
दरबारी धुन पर
हिलाते रहे पूंछ
सरकारी खिताबों के लिए
घाटे का सौदा
साबित हुई नायक पूजा
-विनोद सिल्ला©