घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
तुम नहीं जानते
प्यार और
प्यार की भावना
तुम नहीं हो सकते
आशिक या माशूक
हां हो सकते हो
व्यापारी
अव्वल दर्जे के
क्योंकि
तुम्हारा प्यार भी था
लाभ-हानि के
मापदण्ड आधारित
न कि भावना आधारित
तुम व्यापारी भी
सही नहीं निकले
जो मुझे छोड़ गए
मेरे पास
मुझसे बड़ी दौलत और
थी ही नहीं
मैं तेरा होता तो
जो ले गए
वो भी तुम्हारा ही होता
तूने कितना घाटे का
सौदा किया
-विनोद सिल्ला©