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12 Jun 2023 · 1 min read

घर

मैं कहीं भी जाऊँ
हमेशा घर लौटता हूँ
मैं ख़ुश होता हूँ
तो घर लौटता हूँ
दुखी होकर भी घर ही लौटता हूँ
जो रास्ते कभी घर से होकर जाते थे
उनसे मिलकर भी घर ही लौटता हूँ
मैं किसी अनजान से मिलकर लौटता हूँ
या अपनो से मिलने लौटाता हूँ
तो भी घर ही लौटता हूँ
भरी दोपहरी में लौटता हूँ
रात के सन्नाटे में लौटता हूँ
सुबह सवेरे लौटता हूँ
ढलते सूरज में लौटता हूँ
भूख से बोझिल होकर लौटता हूँ
रेस्तराँ जाकर भी घर ही लौटता हूँ

मैं नदी किनारे पानी की लकीर बना
ऊँचे पहाड़ पर पत्थरों के Cairn रख
घने जंगल में पेड़ पर निशाँ खोद
आसमान में तारे गिनता हुआ
मैं हर बार, पिछली बार की तरह
घर ही तो लौटता हूँ

मैं तुझ से मिलकर घर लौटता हूँ
मैं तुमसे मिलने घर लौटता हूँ
अकेला होता हूँ तो घर लौटता हूँ
मैं किसी का हाथ पकड़ भी घर ही लौटता हूँ

घर से निकलते वक़्त
घर लौटने का ही ख़याल होता है

मैं हर बार पहले से थोड़ा ज़्यादा होकर घर लौटता हूँ

जो कोई भटक जाए
तो अपने पैरों के निशान ढूँढ
घर लौटना इतना मुश्किल भी तो नहीं?
@संदीप

Language: Hindi
150 Views
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