घर
हमारे तन-मन को
सुरक्षा का जहाँ भी
घना अहसास मिले,
बस वहीं घर है ।
जहां रांधती रसोई मां
और पिता की छांव मिले
बस वहीं घर है ।
हमारे अस्तित्व को
जहां पहचान मिले,
मन नयन के स्वप्नों को
जहाँ पर उड़ान मिले,
बस वहीं घर है ।
हम जीतें या हारें
बस प्रेम का उपहार मिले
स्वीकार सारी कमियां
जहाँ सदा परवाह मिले
बस वहीं घर है ।
जहाँ दुःख सुख
एक सबका हो,
जहां आस व विश्वास मिले
बस वहीं घर है ।
घोंसला हो या माँद हो,
अस्तबल या कि गोशाला,
मिट्टी के घर हों,
या कुटिया हो पर्ण की,
आत्मीयता जहाँ भी मिले
बस वहीं घर है।
जहाँ नहीं ये भाव सब
कितना भी भव्य हो भवन
किन्तु घर न हो सकता ।