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30 Oct 2020 · 1 min read

घर

घर

केवल मकान बनते जुड़ ईंट पत्थर
माँ की तपस्या त्याग से वो बने घर
दीवारों पर चढ़ी माँ के प्यार की रंगत
मिट्टी में पसीने की ख़ुशबू की संगत
आंगन में पायल की रुनझुन बजी
चूल्हे की आँच पर उसकी ममता पकी
हर कोने से झूलती यादों की तस्वीर
सब मिल संवरती एक घर की तक़दीर
माँ होती घर की रौनक़ नूर दिल जान
जन्नत बनाती फूँक उसमें अपने प्राण
तुमसे ही तो घर घर है माँ
वरना वो एक फ़क़त मकाँ

रेखा

Language: Hindi
1 Like · 408 Views

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