घर जो मिट्टी का मिला तो यूँ लगा
प्यार का जब से खजाना मिल गया
रूह को अपना ठिकाना मिल गया
तुम मिले,तुम यूँ मिले,तुम क्या मिले
हमको तो सारा जमाना मिल गया
जाओ,जाओ आँसुओं हाफिज खुदा
अब तो हँसने का बहाना मिल गया
लौटकर आया क्या बाँहों में मेरी
फिर हसीं लमहा सुहाना मिल गया
घर जो मिट्टी का मिला तो यूँ लगा
मीत बचपन का पुराना मिल गया