घर चलाऊं
सवेरे निकलू मै शाम आऊं तो घर चलाऊं
पसीना जाकर कही बहाऊं तो घर चलाऊं
ज़रूरतो की तमाम चीज़े है उस किनारे
मै बहते दरीया के पार जाऊं को घर चलाऊं
बहुत है मुश्किल सुनहरे गेहूँ को रोटी करना
कही खरीदू कही पिसाऊं तो घर चलाऊं
जहां पे मरता हूँ रोज़ जीने के वास्ते मैं
वहीं से खुदको बचाके लाऊं तो घर चलाऊं
ये मेरी बीवी ये मेरे बच्चे जो मेरे दुख है
इन्ही दुखो को जो सुख बनाऊं तो घर चलाऊं
किचन से स्कूल तक का चक्कर है भारी पत्थर
ये भारी पत्थर अगर उठाऊं तो घर चलाऊं
सभी सवालो की गठरीयों मे पड़ी है गाठें
मैं अपने नाख़ून ज़रा बढ़ाऊं तो घर चलाऊं