घर-घर मोदी का उद्घोष
दामोदर के लाडले, हीराबेन के लाल
नरेंद्र मोदी भारत में, बने हैं एक मिसाल।
बुलगारी का चश्मा, रखते मॉ ब्लां का पैन
मोवाडो की बांधें घड़ी, आधी बांह का कुर्ता कमाल।
1972 में आरएसएस से जुड़े, 12 युवाओं के साथ
सुबह पाँच बजे लाते दूध, अनुशासन बना हथियार।
बचपन में शमिष्ठा झील में तैरे, साहस लिए अपार
मगरमच्छों के बीच में, कूद पड़े थे इक बार।
बना झील में था मंदिर, उस दिन बारिश थी भरमार
झंडा बदलने की हठ ने, झील करा दी पार।
धुन के पक्के, अटल इरादा, और जिद्दी स्वभाव
ओबामा पर भी पड़ा, इनकी ‘एनर्जी’ का प्रभाव।
26 मई 2014 को, प्रधानमंत्री का पहना ताज
3 साल के अल्पकाल में, बने देश के सरताज।
प्रखर राष्ट्रवादी छवि, और सनसनीखेज बयान
नोटबंदी को बनाया, कालेधन के विरूद्ध अभियान।
सर्जिकल स्ट्राइक को किया सार्वजनिक, निराला है अंदाज
उज्ज्वल योजना, मेक इन इंडिया, इनकी योजनाएं बेमिसाल।
खादी को करते प्रमोट, हिंदी को देते मान
जन-जन से जुड़कर, करते हैं ^मन की बात*।
योग को देते प्राथमिकता, फिटनेस का रखते ध्यान
भाकरी और खिचड़ी, भोजन खासमखास।
गंगा की निर्मल धारा से, रखते सदा सरोकार
धार्मिक प्रवृति, उत्तम नीति, और सर्वोत्तम हैं विचार।
नयी-नयी परियोजनाएँ, जगह-जगह शिलान्यास
ढोला सादिया पुल की, देश को दी अनुपम सौगात।
रामदूत हनुमंत सरीखे, राष्ट्र-सेवक अति महान
इनके सद्प्रयासों से , बदल गया सारा जहान।
बदला-बदला सा है भारत, बदली सी है तस्वीर
घर-घर मोदी का उद्घोष, चढा जन-जन की जुबान।
धन्य-धन्य भारत की जनता, अनंत किया उपकार
प्रखर, प्रबुद्ध नेता के हाथों, सौंपी देश की पतवार।