Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2021 · 1 min read

घर घर दीप जले

मनहरण – घनाक्षरी
***************
**घर-घर दीप जले*
****************

घर – घर दीप जले,
खुशियों के पल मिले,
सभी के मन खिले,
आई आज दीवाली है।

गुलाब सा दिल खिला,
रोम – रोम जाग उठा,
कोई जो गले मिला,
यार नही वो साली है।

चोरी-चोरी ऑंख मिली,
हृदय की कली खिली,
दिल्ली की जड़ हिली,
स्वप्न देखा जो जाली है।

चोरी आब है पकड़ी,
भय ने जान जकड़ी,
पुलिस भी है आई,
सामने घरवाली है।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

रोम रोम

1 Comment · 475 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मियाद
मियाद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
खुद की नज़रों में भी
खुद की नज़रों में भी
Dr fauzia Naseem shad
बेटी बेटा कह रहे, पापा दो वरदान( कुंडलिया )
बेटी बेटा कह रहे, पापा दो वरदान( कुंडलिया )
Ravi Prakash
"भूल जाना ही बेहतर है"
Dr. Kishan tandon kranti
04/05/2024
04/05/2024
Satyaveer vaishnav
सफलता का एक ही राज ईमानदारी, मेहनत और करो प्रयास
सफलता का एक ही राज ईमानदारी, मेहनत और करो प्रयास
Ashish shukla
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
Choose a man or women with a good heart no matter what his f
पूर्वार्थ
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
💐प्रेम कौतुक-475💐
💐प्रेम कौतुक-475💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
gurudeenverma198
लोकतंत्र
लोकतंत्र
Sandeep Pande
* याद है *
* याद है *
surenderpal vaidya
*झूठा  बिकता यूँ अख़बार है*
*झूठा बिकता यूँ अख़बार है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
-- नफरत है तो है --
-- नफरत है तो है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कई खयालों में...!
कई खयालों में...!
singh kunwar sarvendra vikram
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
3075.*पूर्णिका*
3075.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रतिशोध
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
ruby kumari
#सामयिक_व्यंग्य...
#सामयिक_व्यंग्य...
*Author प्रणय प्रभात*
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
एक देश एक कानून
एक देश एक कानून
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
shabina. Naaz
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
रक्षक या भक्षक
रक्षक या भक्षक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
(15)
(15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया !
Kishore Nigam
छोटी सी बात
छोटी सी बात
Kanchan Khanna
महफिले सजाए हुए है
महफिले सजाए हुए है
Harminder Kaur
Loading...