#घर की तख्ती#
बदल दो अब इस घर की तख्ती,
जो हमेशा से घर के स्वामी की,
नाम और पहचान बताती रही है
पर, अब समय और पहचान ,
दोनों ही बदल गए हैं, जहां,
अब मैं गृहस्वामिनी भी हूं और,
जीवन कर्मक्षेत्र में कर्मवीर भी,
मैं और तुम अलग-अलग नहीं,
अधिकार जब समान हैं हमारे,
तो घर की तख्ती तुम्हारे नाम की क्यों?
चलो बदलते हैं, इस परंपरा को,
देते हैं इस नीड़ को एक नया नाम,
जो बनेगी मेरी तुम्हारी पहचान,
और एक नई शुरूआत भी.