घर की कैद
घर की कैद
मुझे खुद के दिल के
तहखाने तक ले गई जहां
मुझे खुदा मिला
अपने घर की छत का
खुला आसमान तो न मिला
पर कायनात के सारे
सतरंगी रंगों को समेटे
एक सफेद उज्जवल
चांदी के रंग सा चमकीला
रूहानी सुकून देता
अनोखा जहां जरूर मिला।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001