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20 Feb 2024 · 1 min read

#घरौंदा#

आंखों में बसा एक सपना
जो कभी बंद पलकों में बुना था,
चाहा था एक ऐसा घरौंदा बनाना
जिसमें दिलों की बंद खिड़कियां,
किसी की गुनगुनाहट से खुलती हों,
जहां प्यार भरे शब्दों का बिछौना हो
अहसासों के मखमली गलीचे पर
किसी का आने का इंतज़ार हो,
जिसके आने की आहट पुरसुकून हो
जिसकी वफाओं के गुंचे से दिल पर
एक नशा सा तारी हो जाए
वो सपना अब भी मेरी पलकों में बंद है।

Language: Hindi
60 Views
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