घरवाले भी नहीं पूछते by Vinit Singh Shayar
ऐसा नहीं है सिर्फ जमाना देखता है हैसियत
घर पे पड़े रहो तो घरवाले भी नहीं पूछते
कोई ना रहा जिसको परवाह है आपका
देख लीजिए आप भी इक मर्तबा रुठके
आज जो सामने से उंगलियां उठाया करते हैं
कभी चाहा था मैंने उन लोगो को टुटके
इन बातों को मैंने कभी दिल से ना लगाया
यारों क्या रखा है जीने में घुट घुटके
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar