घमंड
घमण्ड
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जरा इतनी सी बात,समंदर को खल गई।
एक कागज की नाव,मुझ पर कैसे चल गई।।
बड़े बड़े जहाजों को मै तुरंत ही डुबो देता हूं।
बड़ी बड़ी लहरों को,मै ही बस में कर लेता हूं।।
बड़े बड़े बलशालियों का भी घमंड टूट जाता हैं।
जब एक छोटा सा कीड़ा हाथी पर चढ़ जाता है।।
घमंड न रहा रावण का जब लंका उसकी जल गई।
देना पड़ा समुंदर को रास्ता जब लक्ष्मण की भौंहे चढ़ गई।।
घमंडी का सिर नीचा होता,कभी नही वह बोल पाता है।
जो बोलता है बड़े बोल किसी को सदा वह मुंह की खाता है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम