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3 Dec 2024 · 1 min read

घमंड ही घमंड है l

घमंड ही घमंड है l
भद्दा माप दंड है ll

सहज ही स्वयं को ही l
जो ना है सही सही ll
बस दंड ही दंड है ll

बड़ी ही कसमकस है l
चित्त को रहा कस है ll
तो मति खंड खंड है ll

रिश्ते गलत पनपते l
ना कभी सही लगते ll
भेद भाव प्रचंड है ll

अन्धकार धेरे है l
वही वही फेरे है ll
ना नजर, पाखण्ड है ll

सुधार कैसे होगा l
सदा गलत ही होगा
साथी भंड भंड है ll

पल पल सहज पनपते l
दिख कर भी ना दिखते ll
चिंता भरे काण्ड है ll

शांत जी न पाओगे l
बारबार तडपोगे लल्ल
प्यास कर्म अखण्ड है ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

Language: Hindi
31 Views

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