घनाक्षरी
घनाक्षरी
हॄदय से याद करूं बाबा विश्वकर्मा जी को, देवताओं के भी शिल्पकार जो कहाते हैं|
दुनिया के कल कारखाना व मसिंदरी को ,
वे ही बाबा निज छत्रछाया में चलाते हैं| सरस्वती, लक्ष्मी दोनों वहाँ विराजती हैं ,
जहां पर बाबा निज कृपा बरसाते हैं |
ऐसे दयावान भगवान विश्वकर्मा जी के,
चरणों में दास अवधू जी लपटाते हैं|
अवधकिशोर ‘अवधू’
मो.न.9918854285