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16 Dec 2020 · 1 min read

घनाक्षरी

बेटी कुल का मान है , सुकर्म परिणाम है
सृष्टि रचयिता वही , ऐसे न मिटाइये ।।

बेटी जब पढती है , समूचा जग पढ़ता है
दे सारी सुविधाएं , आगे तो बढाइये ।।

निडर काली जैसी हो,माँ दुर्गे का सा विस्तार
मनु जैसी मर्दानगी , साहसी तो बनाइये

भर ऊँची उडान को, छूयेगीं वो आकाश को
लगा कोमल पंखों को , , जरा तो सजाइये

Language: Hindi
73 Likes · 2 Comments · 289 Views
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