घनाक्षरी 【 आरक्षण 】
#आयोजन–#मासिक_प्रशस्ति_पत्र_
#विधा– घनाक्षरी
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…..आरक्षण….
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करें क्या जतन कैसे, मुक्त हों आरक्षण से।
मेधावी के सपनों का , सुन्दर संसार हो।।
न आपस म़े द्वेष हो, न जन मन क्लेश हो।
भारत के भविष्य का, सुंदर आधार हो।।
मेधावी को मान मिले, उचित स्थान मिले।
चहुंओर योग्यता का, उचित सम्मान हो।।
जात पात वर्ग भेद, किसको जतायें खेद।
क्षमता हो जैसी जैसी, वैसा ही स्थान हो।।
“सचिन” सुख सार ये, उन्नति का आधार ये।
मेधा बिना कैसे किसी, राष्ट्र का विकास हो?
आरक्षण से मुक्त हों, मेधावी से न रिक्त हों।
मान मिले मेधावी को , इतना प्रयास हो।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”