घड़ी घड़ी ये घड़ी
क्या कुछ बताती है
घड़ी घड़ी ये घड़ी,
साँसों का मोल समझ
इसकी कीमत बड़ी।
सुइयों की टिक टिक
यही तो बताती है,
तन से जो गई साँस
लौट के न आती है।
घड़ी-घड़ी घड़ी का है
हर घड़ी ये इशारा,
घड़ी घड़ी रीत होता
साँस का व्यापारा।
घड़ी घड़ी घड़ी का
हिसाब रोज किया कर,
ज्यादा न गर थोड़ा समय,
भक्ति को दिया कर।
घड़ी घड़ी कुछ घड़ी,
राम को यदि ध्यायेगा,
ऐसी घड़ी आए एक,
भवसागर तर जाएगा।
घड़ी घड़ी हर घड़ी,
घड़ी जो भुलाया।
घड़ी बीते अंत घड़ी
बहुत पछताया।
एक घड़ी आधी घड़ी,
आधी की भी आधी।
नाम जप तरेगा
भले बड़ अपराधी।
सतीश सृजन