घटोत्कच
चलता हूँ आज रण मे, दिखलाता हूँ अपना काैशल,
कैसे मारा मेरे अनुज काे, बताता हूँ अपना बल,
काैन है ऐसा काैरव, जाे आज करेगा भीम पुत्र का सामना,
देखूंगा बल अंगराज कर्ण का, शकुनि की अनीति ओर दुर्याेधन की कामना,
भाई नही सखा था, जाे छाेड़ गया अकेला मुझे,
वीरता ऐसी दिखलाई उसने, इतिहास नही भूलेगा तुझे,
वचन है इस हिडिम्बा सुत का, मचाउंगा रण मे काेहराम,
काैरवाे के छूटे पसीने ,देख इस मायावी पाण्डव सुत के काम,
दुर्याेधन काे घायल किया, काैरव सेना प्रमुख भी तिनका सम ढहे,
घटाेत्कच से सामना करे काैन, उसके वार काे अब काैन सहे,
शकुनि बाेला कर्ण से, कराे प्रयाेग इन्द्र की शक्ति का,
अंत कराे इस काल का, चुकाओ माेल मित्रता की भक्ति का,
शक्ति लगी उर मे ,किया अपना तन विशाल ,गिरा काैरव सेना पर,
मुरली मनाेहर मुस्कराये , जीत गये अब पाण्डव, मिट गया डर,
धन्य धन्य है घटाेत्कच ,जाे बचा गया अर्जुन के प्राण,
धर्म के इस युद्ध मे, कुरुक्षेत्र की धरा पर दे गया अपना प्राण,
।।जेपीएल।।।