घंटीमार हरिजन–हृदय दलित / मुसाफ़िर बैठा
जुम्मा जुम्मा आठ दिन भए
किरानी से साहब बन बौराया
एक सरकारी दफ़्तर का वह हरिजन–हृदय दलित
कमरे में बेल लगवा कर
और उसे बजा बजा कर
बाहर बैठाए गए बहुजन चपरासी को
बुलाकर
अपना सामंती अहं सहलाता है
यह भी कि
ख़ुद वह
अपने से ऊपर बैठे
एक मनुऔलादी द्विज की
बिनघंटी बजे ही बंदगी
बिनथके अहर्निश बजा बजा कर
और उसकी खुजा खुजा कर
ख़ूब आनन्द पाता है।