गज़ल
अगर तुम मिल गये होते मुहब्बत से
हमें शिक्वा न होता अपने किस्मत से
बिता देता में अपनी जीस्त सजदों में
अगर हाथो में होता हाथ उल्फत से
करो ना जुल्म दिल पर और तुम मेरे
यूँ ही मर जायेंगे हम अपने जिल्लत से
यूँ मत देखो हिकारत की नज़रसे हमको
हमें अब भी मुहब्बत है तेरे नफरत से
करूँ कैसे बयाँ में हाले दिल अपना
धड़कता है ये अब भी उनके रहमत से
उठा कर नजरे जब झुका लेते हो तुम
गिराते बिजलियाँ हो दिल पे शराफत से
( लक्ष्मण दावानी )
14/11/2016