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8 Aug 2021 · 1 min read

गज़ल

हर एक चहरें में मुझें तेरा चहेरा नज़र आता है
मोहब्बत ऐसी के तुझमें खुदा नज़र आता है।

जिस गुज़रगाह को चलु मैं,
मंजिल में तु नजर आता है

कु़र्ब़ नहीं तेरा किस्मत में मेरी जो
बस्ती भी विराना नज़र आता है।

इस तरह बिखरें है हम के
इंतिशार जमीं से आसमां तक नज़र आता है

पीता हुँ पानी मैं और नशा ऐ शराब़ नज़र आता है ।
पीता हुँ पानी मैं और नशा ऐ शराब़ नज़र आता है

कहता नहीं हाल ऐ दिल किसी से
बिन कहें ही सब नज़र आता है

लिख़ता हुँ दर्द दिल का तो गज़ल नजर आता है।

हर एक चहरें में मुझें तेरा चहेरा नज़र आता है।
मोहब्बत ऐसी के तुझमें खुदा नज़र आता है।

——- सोनु सुगंध***

1 Like · 2 Comments · 552 Views
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