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28 Jul 2020 · 1 min read

गज़ल

आज भी तू वही की वही रह गई
दोस्ती तो नही दुश्मनी रह गई

यूँ तो सब कुछ है पाया,मगर देखले
ज़िन्दगी मे तुम्हारी कमी रह गई ।

फूल चाहत का कोई खिला ही कहाँ ?
यार बंजर ये दिल की मिट्टी रह गई

हौसला कर न पाए कभी रोने का
मेरी पलकों में बस ये नमी रह गई ।

क्या अजय तुम करोगे कहो तो ज़रा
आज तक ख्वाहिशें सब डरी रह गई ।
-अजय प्रसाद

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