गज़ल
212 212 212
क्या बताएं कि क्या है गज़ल
शायरी की शमा है गज़ल ।
आशिकों की रज़ा है गज़ल
शायरों की सदा है गज़ल ।
मीर,मोमिन, ज़फर ही नहीं
मिर्ज़ा ,हसरत, निदा है गज़ल ।
कैफी, इक़बाल दुष्यंत के
दिल से निकली दुआ है गज़ल ।
आशिकी की ज़ुबाँ गर है ये
हुस्न की भी अदा है गज़ल ।
प्रेमिका के लिए आसरा
प्रेमी की माशुका है गज़ल ।
टूटे दिल की है उम्मीद भी
दर्दे दिल की जफ़ा है गज़ल ।
है अजय तेरे वश की नहीं
तेरे खातिर बला है गज़ल
-अजय प्रसाद