गज़ल
गज़ल
का –आर रदीफ –का
2122 2122 212
दाग लग जाएँ जो अगर इकरार को
ध्यान रक्खो दामने किरदार का |
तोहफा पाये कही तकरार का
होश आये ले सदा उपकार का |
राहते हो मान सा इतवार का
मध्य ना हो सोच सा दीवार का |
शान में हो कदम बीरो गान का
सर कलम पाये सदा गद्दार का |
बोट मागे जान सब अधिकार का
ना फिसल कहना यही इतवार का |
बीज बोते देश में जो भेद के
काट लो अब शीश उस हुंकार का|
रेखा मोहन २६/३/२०१७