गज़ल
जिन्हें हम याद रखते हैं, हृदय के पाक बंधन से,
वो अक्सर दूर रहकर भी, हमेशा पास होते हैं।
तरसती आँख से ओझल हैं, यादों से रुलाते जो,
प्रकट होकर खयालों में, वही अक्सर हंसाते हैं।।
नहीं समझेगी दुनियाँ प्यार के, पावन फसाने को,
जो अपने हैं नहीं वो ही, दिलों को लूट जाते हैं।
करो चाहे लाख कोशिश भूलने की, उन विचारों को,
लहर आते ही पत्थर से, इरादे टूट जाते हैं।।
नहीं मुमकिन है दुनियाँ में, बिना शर्तों के रह पाना,
खयालों का भवन, ख्वाबों की ईंटों से बनाते हैं।
है कैसी दिल की मजबूरी, समझ हम क्यों नहीं पाते,
जिन्हें हम पा नहीं सकते, क्यों दिल मे बसते जाते हैं।।
कई रिश्ते विरासत के, हमारे साथ होते हैं,
क्यों हम विश्वास की खातिर, रकीबों को ही चुनते हैं।
गुलों से खार हैं बेहतर, जो दामन थाम लेते हैं,
मगर फितरत है उनकी, जख्म देने से न डरते हैं।।
जरूरत है बहुत छोटी, सहज जीवन को जीने की,
क्यों लालच से इसे हम, और मुश्किल सा बनाते हैं।
अटल सच है कि जाना है, कफ़न की ओट में तनहा,
क्यों ममता, मोह, माया में, निरंतर फंसते जाते हैं।।
-अशोक शर्मा
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