गज़ल :– जिसको खुशी हो यार की ऊँची उड़ान से ।।
ग़ज़ल :– जिसको खुशी हो यार की ऊँची उड़ान से !!
वज्न :–221–2121–1221–212
काफ़िया :– आन (आसमान ,उड़ान ,इम्तिहान ,इत्मिनान ,जहान……)
रदीफ :– से
गज़लकार :– अनुज तिवारी “इंदवार”
वो क्या करेगा जीत के भी आसमान से ।
जिसको खुशी हो यार की ऊँची उड़ान से ।
अहले – करम जो यार के मिल जाएँ गर वहाँ ,
वो क्या डरेगा इस जहाँ में इम्तिहान से ।
चाहे यहाँ तू दे मुझे जुलमी करार अब ,
पहले जिगर की आह तो पढ़ इत्मिनान से ।
जो आज थिरकते हैं जनाजे की शान पर ,
जीने दिए न जीते जी वो इस जहान से ।