गज़ल :– चलो जो राह पे सम्हल के सामना देखो ॥
गज़ल :– चलो जो राह पे सम्हल के सामना देखो ॥
1212–1122–1212–22
इस बहर पर लिखे फिल्मी गीत
1) कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है ।
2) हमें तो लूट लिया मिल के हुष्न वालों नें ॥
अदा-ए-मस्त अकड़ छोड़ आसरा देखो ।
चलो जो राह पे सम्हल के सामना देखो ॥
करोगे आह ज़माना तुम्हे सताएगा ।
ज़रा सा चीख ज़माने का फ़िर मजा देखो ॥
हया हो या ज़रा सी शर्म औ नुमाइश हो ।
कभी झुके जो नजर तो भी कायदा देखो ॥
भरम को छोड़ बुढापे का क्या पता किसको ।
अभी ये मस्त जवानी ना हो खफा देखो ॥
ये आसमां भी जमीं से यहां मिले अक्सर ।
हसीन वादियों का तुम ये माज़रा देखो ॥
ख़याल नेक सवालों से हों घिरे जब भी ।
मिलेगा रासता जो खुद का तुम पता देखो ॥
अनुज तिवारी “इंदवार”