ग्लोबल वार्मिंग :चिंता का विषय
निर्मल झील जो की कभी थी यहाँ
उसका पानी सूख गया कहाँ
पूछे तुमसे सारा ये जहां
कर सको तो करो अपने शब्दों से बयां
क्यों तू काटे शीतल छाया
कहां है वो पेड़ों का साया
जिसके नीचे था मैंने बचपन बिताया
कत्लेआम करके उसका तुमने क्या पाया
धुआ चारों ओर फैला
शुद्ध हवा का स्तर घटाया
बाढ़, तूफान, भूकंप को बढ़ाया
दुश्मन प्रकृति को तू ने ही बनाया
तापमान नहीं बढ़ा है इस धरती का
बढ़ा है तो रोष उसका हल्का सा
अपने मतलब के लिए जो तू ने है छीना
सूत समेत भुगतान है उसका अब भरना
अब भी वक्त है जाग जा ए इंसान
कर संपूर्ण मानव जाति का कल्याण
कहीं मिट ना जाए हमारा नामो निशान
लौटा दे प्रकृति को उसका खोया हुआ सम्मान