ग्रीष्म ऋतु भाग ५
गर्म वायु लू के झोंके दिक्
अग्नि लपट से चलने लगे हैं।
मिटन मिटाये जल तृष्णा सब
पुनः पुनः जल ग्रहण करने लगे हैं।
तीनपहर बीते सब प्राणी
अपने आवास से निकलने लगे हैं।
शीतल संध्या की छाया में
विष्णु नित काम करने लगे हैं।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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