जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
जिन्दगी ने आज फिर रास्ता दिखाया है ।
सत्य होता सामने
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं है
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
सर्दी में कोहरा गिरता है बरसात में पानी।
बाण मां सू अरदास
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार