ग्रहण
ग्रहण लग जाता है
उन तमाम सपनों पर
उम्मीदों पर उमंगों पर
जो आती हैं
अँज़ुरी भर सिंदूर
और काले दानों के साथ
जब
हिस्से आती है,
केवल अपेक्षाएँ,
कभी न बुझने वाला चूल्हा,
प्यार के नाम पर
महज़ थकावट भरी रात…..
ग्रहण लग जाता है
उन तमाम सपनों पर
उम्मीदों पर उमंगों पर
जो आती हैं
अँज़ुरी भर सिंदूर
और काले दानों के साथ
जब
हिस्से आती है,
केवल अपेक्षाएँ,
कभी न बुझने वाला चूल्हा,
प्यार के नाम पर
महज़ थकावट भरी रात…..