गौरैया
बहुत जगह पढ़ा
बहुत लोगों से सुना
कि
अब गौरैया नहीं दीखती
नहीं दीखती अब गौरैया
सन् 2011 के 30 अक्टूबर को
मेरे घर जन्मी एक गौरैया
मेरी पुत्री के रूप में
उसी माह मेरे घर के छज्जे के नीचे
एक गौरैया ने अपना घोंसला बनाया
2015 में मेरा परिवार बढ़ा
एक गौरिया छोटी बिटिया के रूप में और जन्मी
इधर मेरा परिवार बढ़ा
उधर उस गौरैया के परिवार में वृद्धि हुई
मेरी बेटियां की तब से
सात सहेलियां हैं गौरैया के रूप में
सुबह स्कूल जाने से पहले
बेटी उनकी खाने पीने का इंतज़ाम करना
नहीं भूलती कभी
और गौरैयाँ भी
उसे दिन भर
अपने विभिन्न करतबों से
हम सभी का मन हरती हैं
मेरी बेटियां उनसे
वे मेरी बेटियों से खेलती है
लोग मेरे घर आते हैं
कहते हैं
आपके घर गौरैयां दीखती हैं।
दीखती हैं गौरैयाँ मेरे घर
मेरी बेटियों की सहेलियां हैं वे
घर का आँगन
इनकी खिलखिलाहट
चहचहाट से
प्रफुल्लित रहता है दिन रात।