गौरी सुत नंदन
इनके सब सम्मानित भक्तजनों को, पुराणों में मिल जाता वर्णन।
एक उज्ज्वल छवि प्रत्यक्ष आती है, जब देखते हैं धर्म का दर्पण।
इनका चरित्र यों महकता है, ज्यों उपवन में खुशबू फैलाए चंदन।
सुखकर्ता तुम, हो विघ्नहर्ता तुम, तुम ही हो प्रभु गौरी सुत नंदन।
माँ की आज्ञा से, सेवा करते हुए, तुमने पिता का पथ रोक दिया।
इस पे पिता ने क्रोधित होकर, तुमको मृत्यु कुण्ड में झोंक दिया।
तुम आहत पिता का पश्चाताप, हो स्तब्ध माँ के हृदय का क्रंदन।
सुखकर्ता तुम, हो विघ्नहर्ता तुम, तुम ही हो प्रभु गौरी सुत नंदन।
हर भारतवासी बड़ी धूमधाम से, तुम्हारा ही स्तुति-गान करता है।
उन्हें रिद्धि-सिद्धि मिलती हैं, संसार में भी मान-सम्मान बढ़ता है।
गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर, तुम्हें संपूर्ण भारत करे वंदन।
सुखकर्ता तुम, हो विघ्नहर्ता तुम, तुम ही हो प्रभु गौरी सुत नंदन।
जिनके घर-आँगन में बप्पा जी, खुशी-खुशी विराजमान होते हैं।
उनके जीवन से बलाऍं हटती हैं, समस्त शत्रु ही परेशान होते हैं।
जितनी बार हो कम ही लगे, श्रीगणपति का सहृदय अभिनंदन।
सुखकर्ता तुम, हो विघ्नहर्ता तुम, तुम ही हो प्रभु गौरी सुत नंदन।
इनकी पूजा सबसे पहले होती, ये तो समूची सृष्टि के चालक हैं।
हम सब सेवक और चाकर इनके, ये तो हम सभी के पालक हैं।
समस्त भावी घटनाओं के लिए, इनके पास रहे समुचित प्रबंधन।
सुखकर्ता तुम, हो विघ्नहर्ता तुम, तुम ही हो प्रभु गौरी सुत नंदन।