* गौरी लाड लडावण आया मैं तो *
गौरी लाड लडावण आया मैं तो
तू रूठ कै कहाँ चली जावे है
मैं पतंग तो डोर थारे हाथ है
तू खींचे तो मैं दौड़या चल्या आंवा हां
गौरी ………………….जावे है
तू रूठ कै म्हासूं चली जासी तो
म्हारे हिरदय रा दोटूक हो जावेला
गौरी ………………….जावे है
लाडी कद सूं मनावण लाग्यो मैं थाने
थारे वास्ते फूला-सेज सजांवा मैं
अब मान जा तू स्याणी लाडी है
गौरी ………………….जावे है
अब मना मना कै थाक्या मैं थांसू
अब निलळ आवेगा आंख्या सूं आंसू
गौरी ………………….जावे है
थे हो पिऊजी म्हारा थांसू कइयां रूठूं
थे हो प्राण-प्यारा म्हारा थासूं कइयां रूठूं
गौरी ………………….जावे है ।।
मधुप बैरागी