गौरवशाली भारत
भारत का इतिहास पुराना, कितना गौरवशाली है,
इसके धन और वैभव की, गाथायें, बहुत निराली हैं,
सम्राटों के स्वर्ण-मुकुट पर, हीरे शोभा पाते थे,
रत्नजटित मंदिर, प्राचीरें, दर्शक को चौंकाते थे,
सोने की चिड़िया था भारत, रत्नों का भंडार था ,
इसे नोंच लेने को, गिद्धों का दल-बल तैयार था,
गोरी,गजनी, ग्रीक, तुर्क, तैमूरलंग चढ़ आए थे,
वीर-लड़ाके भारत के, जाकर इनसे टकराए थे,
छुड़ा दिए अरि-दल के छक्के,ऐसे तीव्र प्रहार किये,
भाग गये कुछ डर करके, बाकी कुत्तों की मौत मरे,
फिर भारत में फ्रेंच-ब्रिटिश, व्यापारी बन कर आये थे,
छल-बल से वह भारत को, परतंत्र बनाने आये थे।
केवल धन-वैभव ना लूटा, संस्कृति को बर्बाद किया
अहंकार में पुण्य-भूमि के, गौरव को पदक्रांत किया
बहुत दिनों तक चला युद्घ, सैंतालिस में आज़ाद हुआ,
भारत पर भारत का शासन, तब जाकर आबाद हुआ,
है कुछ बात विशेष हमारी, गिर-गिर के भी उठते हैं
आक्रांता जितने भी आयें, मिटे न हम मिट सकते हैं,
उन्नति करने के दिन हैं अब, भारत पर अभिमान करें,
विश्व गुरू की महिमा पायें, हम सब यही प्रयत्न करें।