गौरवपूर्ण पापबोध
वो आपको आपके गौरवपूर्ण इतिहास से गुमराह करते हैं . …………. आपको लगता है हमारे बहुत से नायक तो अपनी रक्षा भी नहीँ कर सके……… आप उनको छोड़ कर छद्म इतिहास पर भरोसा कर लेते हैं ……. परिणामस्वरूप हीन भावना से ग्रसित होकर किसी भी प्रकार की सार्थक चर्चा से कतराने लगते हैं ……. आपको भरोसा दिला दिया जाता है कि आपकी परम्पराएं अन्धविश्वास हैं…… आपको हीन भावना से ग्रसित करने के बाद आपको विश्व की दूसरी सभी परम्पराओं की महानता बताकर उनका आदर करना सिखाया जाता है …… वाह वाह क्या बात है कितने भी पाप करें कहना मना है ……. ये फिर आदत बन जाती है ….. नहीँ तो एक आध बोलने वालों का मुँह बन्द करने के लिये साम दाम दंड भेद सब अपनाया जाता है ….. बचे हुए या तो डर से या कुछ ना होने की निराशा से या तो चुप बैठ जाते हैं या इस सबसे मन उचट चुकता है …. समाज में भ्रस्टाचार है तो मौकापरस्तों की चाँदी रहती है और फिर किसी भी ईमानदार या राष्ट्रभक्त सरकार के समर्थक ऐसे लोगों की आंखो में फुन्सी की तरह खटकने लगते हैं। समर्थकों को भांति भांति के संबोधनों से प्रताड़ित करना प्रारम्भ हो जाता है, गालियाँ मिलने लगती हैं, ट्रॉलिंग होने लगती है। राष्ट्रभक्तों को चाहे वो किसी राजनीतिक विचार से कितने भी परे हों उन्हें एक राजनीतिक सोच से ग्रसित बताया जाने लगता है। देशद्रोह पूर्ण बयानबाज़ी की भर्त्सना को अपराध की श्रेणी में क्यों रख दिया गया है आज। क्या अपने राष्ट्र का मनोबल ऊँचा रखने का प्रयास करना, अपने राष्ट्र का भला सोचना,अपने राष्ट्र से प्रेम करना कोई अपराध है क्या।
आज इस बात पर थोड़ा चिन्तन कीजिये और अपने विचार रखिये। 🙈🙊🙉