गोल की महिमा ( व्यंगात्मक काव्य )
दुनिया में सब गोल है भईया,
धरती सूरज सब गोल है भईया ।
पैसा भी तो गोल है भईया,
पैसा तो अनमोल है भईया ।
रोटी भी तो गोल है भईया,
गोल ही दुनिया में अमोल है भईया ।
नेताजी की तोंद को देखो,
चश्मा देखो, टोप तो देखो,
सब गोल है भईया ।
इस गोल में बडी़ पोल है भईया,
न जाने कितने राजा इसमें समाये ।
चारा खाया, खेल खिलाया,
फिर भी नेताओं का पेट न भर पाया ।
घोटाले कर दुनिया में मशहूर हुये,
जनता के सारे सपने काफूर हुये ।
नित-नये अरबपतियों की फौज बडी़,
क्योंकि कानून की सजा नहीं है कडी़ ।
गोल-गोल के फेर में दुनिया गयी है भूल,
कौन अपना कौन पराया,
गये पैसे के आगे सब भूल ।
पैसे की दुनिया देखो रे भईया,
यहां इज्जत का नहीं है कोई मोल रे भईया ।
बाप बडा़ न भईया,
सबसे बडा़ रूपया, सबसे बडा़ रूपया ।।
—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म.प्र. )