गोरी तोरे अँगना में कौन रहा नाच
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गोरी तोरे अँगना में कौन रहा नाच!
होली के रस्म सारे कौन रहा बाँच?
किसने गुलाल मला कहो गाल-गाल?
पिया परदेशी कैसे कर गया कमाल?
कैसे चुनरिया का रंग हुआ रंगीन?
किसने बनाया इसे इतना संगीन?
किसने दिया रख तेरे ओठों पे राग?
कहो कौन बाँच गया अधरों पर फाग?
आँखों में ताण्डव सा होली का आग।
तन में तेरे गोरी गया होली है जाग।
शरम काहे यार ही से होली ले मांग।
बिन पिये कहो कैसे चढ़ गया भांग।
छोरे मोरे अँगना में पिया मोरे नाच।
होली के रस्म सारे वही रहा बाँच।
उसने गुलाल मला मेरे गाल-गाल।
पिया मोरे अँचरे में,यूँ हुआ कमाल।
यूँ हुआ चुनरिया मेरा इतना रंगीन।
साजन की बाहें ही इतना संगीन।
ओठों से ओठों पर रख दिया राग।
बाँचेगा और कौन! अधरों पे फाग।
आँखों में थिरक रहा मेरा सुहाग।
तरसो रे छोरे तुम,तुम्हें लगे आग।
तन मेरे होली को पिया दिया भांग।
हर रस को पी रहा वही मांग,मांग।
अधरों पे रचे उसने ही मेरे है फाग।
होली के रस्म सारे वही रहा बाँच।
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