”गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे”
दरवाजे से छुपकर देखती है रोज मुझे,
गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे
मेरे आने जाने का समय पता है उसे
कहती नहीं कुछ बस देखती है मुझे
कभी मिल जाये नज़र तो शरमा कर
मुस्कुराकर झट से छुप जाती है
गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे
एक दो दिन ना दिखूं तो व्याकुल सी वो हो जाती है
फिर बड़ी चालाकी से किसी से पूछती है मुझे
गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे
हरकतें कर जताती बहुत है मुझे
पर ना जाने क्यों कुछ कहती नहीं है मुझे
ना देखती एक बार भी मेरी तरफ जब कभी आती घर मेरे
हरकतों से अपनी बताती है वो अन्जान मुझे
गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे
उसकी मोहब्बत का ये अंदाज़ बहुत पसंद है मुझे
क्यूंकि गॉव की वो लड़की करती है प्यार मुझे
”शिव प्रताप लोधी”