#गैर धर्मी हमलवार#
गैर धर्मी हमलवार
// दिनेश एल० “जैहिंद”
कुछ लोग हैं
कुछ समुदाय हैं
कुछ गैर धर्म के संवेदनहीन उजड्ड हैं |
जिन्हे चिढ़ है, खुन्नस है, दिक्कत है
हिंद से, हिंदू से, हिंदू धर्मावलंबियों से,
हिंदू पर्व से, हिंदू त्योहार से,
हिंदू रीत-रिवाज से ।
उन्हें होली में हिंदू-जन बदतमीज दिखते हैं,
घर-घर शराबी दिखते हैं, गली-गली आवारा दिखते हैं, नाचने-गाने को बेशर्मी कहते, रंग फेंकने को बेहयायी कहते, गाने-बजाने को हुड़दुंग बताते हैं, रंग-अबीर लगाने को असभ्य बताते हैं ।
कुछ सालों से लगातार हमला हो रहा है –
हिंदुओं और उनके पर्व-त्योहारों पर,
उनकी रीत-रिवाजों और संस्कार-संस्कृतियों पर , पूजन-स्थलों और उनकी पूजन पद्धतियों पर ।
उनके विश्वास और उनकी आस्थाओं पर
उनकी संवेदनाओं और अंतरात्माओं पर ।
छठ पूजा को फिजूल खर्ची बताते हैं
दीपावली को पर्यावरण विषाणु बताते हैं
होली को गँवारों का त्योहार कहते हैं
दुर्गा पूजा, गणेश पूजा, काली पूजा को
प्रपंच व पाखंड का प्रोपेगंडा कहते हैं ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
20. 03. 2019