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22 Nov 2021 · 1 min read

गे हंसनी तुं छऽ आय पंख पसारैत

कविता -गे हंसिनी तु छऽ पंख पसारैत

गे हंसिनी तु छऽ आय पंख पसारैत
मांईज मांईज के हर अंग के धोहैत।
मन पुलकित के छौ फुल खिलैल
मुदा छौ तोहर दुनू नैन लजैल।
अभिलाषक सरोवर में छऽ तु डुबल
जेना दिन में ऐछ आय चान उगल।‌‌
छऽ खोता के मोन सअ सजाबैत
मांईज मांईज के हर अंग के धोहैत
गे हंसिनी तु छऽ आय पंख पसारैत।
जरल हृदय पर जेना ओस गीरलौ
लगै यऽ हंसवा आय गाम एतौ।
सुखैल सन देह में भरल उमंग
अंग अंग में छौ खुशी के तरंग।
समैट समैट जे हर दुख के रखलऽ
तेकरा तु आय एक छन में बिसरलऽ
सम्माद तोरा कोनो नींक भेटलौ।
मुरझैल मुंह पर मुस्कान के बिहैर बहलौ
देख तोहर ई रुप अनुपम
किया नराज रहतै मौसम।
अल्हड़ सन जुवानी किछ अगले चंचल
टुटलो पाजेब के ध्वनि छौ सरगम।
अंहार खोता में छौ चमकैत भाव के रोशनी
हर्षित मोन में छऽ गीत गावैत लगनी
टोल परोस सब भेल ऐछ अचंभित
जुग जुग अमर रहतौ तोहर प्रीत
जुग जुग अमर रहतौ तोहर प्रीत

रचनाकार – रौशन राय अमात्य
तारीख – 31-08-2021
दुरभाष 8591855531/9515651283

Language: Maithili
1 Like · 242 Views
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