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21 Oct 2020 · 1 min read

गृहलक्ष्मी

गृहलक्ष्मी 1
—————-
नारी सिर्फ माँ,बहन
पत्नी या बेटी भर नहीं
एक चलता फिरता संस्थान है,
भगवान के बाद प्रबंधन में
नारी का स्थान है।
नारी के अनगिनत रिश्ते
अगणित रूप हैं,
प्रबंधन में उससे अधिक
न कोई निपुण है।
एक साथ कई कई रिश्तों में
सामजंस्य बैठाना खेल नहीं है,
ऊपर से घर चलाने का अंकगणित
कोई रेल नहीं है।
इसलिए नारी गृहलक्ष्मी
कहलाती है,
मगर अफसोस कि आज भी
अबला ही कही जाती है।
नारी पूजित भी है और
पूजती भी है,
मानें या मानें
नारी में ईश्वरीय शक्ति भी है।
नारी को यथोचित
मान सम्मान दीजिये,
पूजा करने के लिए ही नहीं
गृहलक्ष्मी का भी सम्मान दीजिए।
● सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 322 Views
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