गूंज
बिना आवाज किये भी
एक गूंज होनी चाहिए जो
लौटकर न आये
जो मेरी छत की
मुंडेर से उड़ा
परिंदा
बिना उसे आवाज
लगाये
लौटकर आ जाता है
वह दिल में
बिना बात ही
एक उम्मीद सी
जगाता है
दिल की आवाज भी
सुनता है कोई
किसी की ख्वाहिशों को
अंजाम देता है कोई
कुछ आवाजें ऐसी भी
होती हैं जिनकी गूंज
आसमान तक भी पहुंचे
फिर भी जमीन पर
लौटकर नहीं आती
कुछ फरियादें ऐसी भी होती हैं कि
खुदा भी चाहे तो
उन्हें पूरी न कर पाये
बस यही सब्र का इम्तिहान है
दिल की पायल के
घुंघरू
बिना झंकार किये
टूट जायें तो
उन्हें फिर से
कोई कैसे बांधे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001