गूंजे नाम तुम्हारा
धरती से अम्बर तक,
गूंजे नाम तुम्हारा,
कर के दिखलाओ,
कार्य वह सुन्दर,
गली-गली में,
हर घर-घर में,
गर्व से ले,
नाम तुम्हारा।
नाम तुम्हारा,
तुम्हारी पहचान,
बहुत महत्त्व ,
रखता है नाम ,
इतिहास अपना,
लिखना चाहोगे,
एक नाम तुम्हारा,
इतिहास बनाएगा।
नाम कहीं गुमनाम नाम ना हो,
तस्वीर तुम्हारी अस्तित्व की,
नाम से ही गढ़ता यादों में,
नाम तुम्हारा कम नहीं,
होता है दम वहीं,
सुनहरे अक्षरों में लिखवाओ,
दिवारो में ही केवल क्यों ?
दिल में भी नाम लिख जाए।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।