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16 Feb 2023 · 1 min read

गूंगे बहरों की बस्ती

गूंगे बहरों की बस्ती में,
गूंगे बहरे ही बस्ते हैं।

यहां कुछ भी नही अपना है
जिसे देखो वो ही सपना है।
सच्चे आदमी को देखो
कौने में बैठ सिसकते हैं।

गूंगे बहरों की बस्ती में,
गूंगे बहरे ही बस्ते हैं।

पग पग पर मिथ्या वाणी है
कलयुग की यही कहानी है।
सत राह पे चलने वालो पे
यहां दुनिया वाले हस्ते हैं।

गूंगे बहरों की बस्ती में
गूंगे बहरे ही बस्ते हैं।

जब स्वप्न हुआ साकार नही
कहते ईश्वर का आकार नही
भले झूठा कुछ भी दिखता हो
बस उसपे भरोसा करते हैं

गूंगे बहरों की बस्ती में
गूंगे बहरे ही बस्ते हैं।

– पर्वत सिंह राजपूत

Language: Hindi
444 Views
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