गुस्से और नसे के दौर में करें यह उपाय
रोड रेज पे लड कर मरते,
नसे में दुर्घटना से मरते,
मोबाइल से ध्यान भटक कर मरते,
पर फिर भी हम नहीं सुधरते।
घातक हैं यह जीने की खातिर,
गुस्सा,नसा,और मोबाइल का चस्का,
किन्तु जहां देखो,वहां इसी की चर्चा,
हर घर,हर गांव,और हर शहर,
सब जगह है,इसका असर,
छोटा,बुढा और जवान,
गुस्सा सब में एक समान,
जिसने भी किया गुस्सा-और नसा
होती है उसकी बुरी दशा,
उजडे हैं बडे बडों के घर,
खाते कदम कदम पर वह ठोकर,
नसेडियो कि नहीं प्रगति होती,
जमा पुंजी उनकी खर्च ही होती,
चाहे वह पीने पर खर्च हो,
चाहे , वह उपचार पे खर्च हो,
चाहे हो वह खर्च कोर्ट कचहरी पर,
तो मेरे भाई हम क्यों करें ऐसा,
जिसमें नाहक हो खर्च रुपया-पैसा,
बसुदैव कुटम्बकम् का सन्देश है प्यारा,
भाई चारे का यह सन्देश है न्यारा,
आयेगी जब यह जागृति,
दूर हो जायेगी,यह कुरीती,
गुस्सा नसा जब होता है सवार,
अपने भी हो जाते दूर,सम्बन्धों पर पडती दरार,
प्रिय जनो करें हम सब इसका प्रतिकार,
गैर नहीं कोई सब ही हैं अपने,
सबकी खुशहाली है,हमारे सपने,
हर समस्या को मिल बैठ सुलझायें,
लाएं जागृति, कुरिती,कुप्रथा को दूर भगायें,
गुस्से,नसे,के साथ ही हम प्रदूषण भी हटाएं,
बुद्धी कि सुद्धी करें और पेड लगाऐं,
हरियाली,और खुशहाली को आगे बढाऐं।